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आदरणीय मित्रों ,…सादर प्रणाम !
हमारा भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है ,…..यहाँ सालभर किसी न किसी चुनाव का मौसम बना रहता है !……..एक के समाप्त होते ही दूसरे की तैयारी शुरू हो जाती है !………सतत चुनावों से हमारी तमाम जनशक्ति व धनशक्ति की हानि होती है !…….पिछले दिनों एक साक्षात्कार में पूज्य प्रधानमंत्रीजी ने सतत चुनावों के प्रति अपनी तार्किक पीड़ा प्रकट की थी !……आश्चर्य है कि एक साथ चुनावों की पवित्र इच्छा पर पर्याप्त संवाद भी नहीं हुआ !……..प्रधानमंत्रीजी की इच्छा के अनुसार लोकसभा तथा सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों ,…..फिर एक दो माह के अंतराल पर स्थानीय निकायों के चुनाव हो जाँय !……पांच वर्ष में दो तीन महीने का चुनावी मौसम लोकतंत्र के लिए पर्याप्त होगा !
सर्वविदित है कि हमारी तमाम राजनैतिक सामाजिक शासकीय योग्यताएं चुनाव के लिए अपनी अधिकतम ऊर्जा खर्च करती हैं !……एकसाथ चुनाव होने से हमारी विकास गति तेजी से बढ़ेगी !….इसमें कुछ व्यवहारिक कठिनाइयाँ तो आ सकती हैं लेकिन इनको आसानी से पार किया जा सकता है !…..महत्वपूर्ण प्रारंभिक क़दमों में कठिनाईयों का आना स्वाभाविक है लेकिन इस व्यवस्था के परिणाम अत्यंत लाभदायक होंगे !……..हमारे तमाम राजनैतिक दलों के पास समाज में सार्थक सृजनात्मक सामजिक कार्यों के लिए पर्याप्त समय साधन होंगे !…..इससे हमारा चुनावी बजट भी नियंत्रित होगा ,…………इससे राजनेताओं की धनिक लाचारी भी रुकेगी !..
कुछ विषय सोचनीय हैं ,…जैसे ..वर्तमान परिस्थिति में एका कैसे संभव होगी !……इसके लिए दो हजार सोलह या सत्रह से पहले की विधानसभाओं को सन उन्नीस के लोकसभा चुनावों के साथ चुन लिया जाय ,….उसके बाद चुनी गयी विधानसभाओं का कार्यकाल सन चौबीस तक बढ़ाया जा सकता है ,…या फिर कुछ प्रदेशों में कुछ समय के लिए राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है !…..कठिन कार्य के लिए समय दिया जा सकता है !…….एक और मुद्दा उठता है कि बीच में भंग होने वाली विधानसभाओं का क्या होगा ,….तो उत्तर यह है कि चाहे सरकार गिर जाय लेकिन विधान सभा किसी हालत में भंग नहीं होगी !…..विधानसभाओं लोकसभा को अपना कार्यकाल पूरा करना ही होगा !……..किसी जनप्रतिनिधि के निधन जैसी परिस्थितयों में शेष समय के लिए उपचुनाव कराये जा सकते हैं !…….इसके साथ अयोग्य या उद्दंड निकम्मे जनप्रतिनिधि के वापसी का सीमित अधिकार भी जनता को मिलना चाहिए !…..
अंततः ,……. ‘एक देश एक चुनाव’ से देश को बहुत लाभ होगा !…..इससे घाटा सिर्फ दलालों का होगा !……आज चुनाव भी एक उद्योग धंधा है ,…..तमाम दलाल नेता मीडिया चाटुकार चुनावी चांदी काटकर मालामाल रहते हैं !………देश समाज के लिए समर्पित राजनीति को इस महान सुधार पर विशेष प्रयास करने ही चाहिए !……भारत जैसे विकासशील महान देश को चंद पेशेवर दलालों के हितों का बंधक नहीं बनना चाहिए !…..चुनावी तापमान सीमित रहने से हम अपनी ऊर्जा को अधिकतम सृजनात्मक गतिविधियों में लगा सकते हैं !….हमारे पूज्य प्रधानमंत्रीजी की यह महान पहल अत्यंत सराहनीय व स्वागतयोग्य है ,……हम अपने सभी राजनैतिक दलों संस्थाओं से पूर्वग्रहों दुराग्रहों से मुक्त होकर सर्वहितैषी ‘एक देश एक चुनाव’ अपनाने के लिए विनम्र निवेदन करते हैं !……..…..ॐ शान्ति !……….भारत माता की जय !!……………वन्देमातरम !!!
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