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नारायणी !

युवामंच
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आदरणीय मित्रों ,….सादर प्रणाम !

ब्रम्हांड की जन्मदात्री, प्रकृति की धात्री महामाई नारायणी दुर्गा के महापूजन का पवित्र उत्सव चल रहा है !…………देश विदेश नवरात्र की मधुर सुगंध में झूल रहे हैं !…….परमेश्वरी प्रेममूर्ति माँ के छठे कात्यायनी स्वरुप की महानिशा बीत चुकी है !………भयंकर शुभंकरी स्वरुप में माँ कालरात्रि हमारे सामने है !….. इनके बाद माँ का महागौरी स्वरुप से संसार दमकता है !…..अंततः सर्वगुणशक्तिकला संपन्न महामाई सिद्धिदात्री का प्राकट्य परमपूजित है !…….हम परमपवित्र महामाई से संसार के धर्म अर्थ काम मोक्ष की सुखद पूर्ति की सादर प्रार्थना करते हैं !………कुछ कोरे ,कुंठित , बेहूदे ,भावनाशून्य बुद्धिजीवी लोग माता पिता की महिमा कभी नहीं समझ पायेंगे !……उनसे इस नाते सहानुभूति रखी जा सकती है कि संभवतः उनके निजी मानवीय सम्बन्ध दूषित रहे होंगे !………दूषित संस्कारों को मिटा पाना मात्र बुद्धि के बस का नहीं है ,……..एक सत्य तो यह भी है कि मात्र बुद्धि के बूते कुछ संभव भी नहीं है !…..बुद्धि कदापि पूर्ण नहीं है ,..न कभी हो सकती है !…………..परममाता बुद्धि की साम्राज्ञी भी हैं ,….शुद्ध भाव संस्कार से ही शुद्ध बुद्धि की वृद्धि होती है !……..सूक्ष्म दूषित भावों, गुप्त अहंकार से भी पर्याप्त पतन पराजय की संभावना बनी रहती हैं !……..जन्म-जन्मान्तर से कुसंस्कारधारी साधक भी फिसलते हैं ,….सच्चे संकल्पित साधक फिसलने से पिछड़ते तो हैं ,…..लेकिन अपनी यात्रा नहीं छोड़ते हैं !…..यद्यपि मायाजालवश पथभ्रष्ट साधकों से संसार भरा पड़ा है !…………….वास्तविक निर्दोष साधना तब शुरू होती है ,….जब जन्म-जन्मांतरिक संस्कारों की सम्पूर्ण गठरी छूट जाती है !…….उससे पहले हम घनघोर अँधेरे में जालभूमि पर चलने का रोमांचक खेल खेलते है ,……..ऐसे में महामाई और परमपिता महानतम गुरुसत्ता के माध्यम से यथोचित संकेत सहायता पहुंचाते हैं !………गुरुसत्ता की महान अनुकम्पा से ही मानव कुछ कर सकता है !……हमारा दुर्लभ मानवजीवन बहुआयामी है ,……..हम प्रत्येक स्तर पर शुभकर्म करते हुए वास्तविक उन्नति पा सकते हैं !………….सजग दृढ़प्रतिज्ञ रहने वाले साधक ही ‘उसपार’ के परमप्रकाशित परमानंद का अनुभव पायेंगे !…………………माँ की महिमा मानने वालों से संसार भरा पड़ा है !……माँ उनसे यही चाहेगी कि वो अपने अल्पद्रोहियों को अज्ञानी पीड़ित समझकर क्षमा करें !…….और यदि हम उनके सच्चे भक्त हैं तो उनको सिद्ध करके दिखाएँ !…………बहरहाल ….. हम मूर्ख मानव महामाई के सभी स्वरूपों को बारम्बार अनंत अनंत दंडवत नमन प्रणाम अर्पित करते हुए उनसे पुनः पुनः विनम्र प्रार्थना करते हैं कि ,…..आप बुद्धि के साथ हमारे भावों की सक्रिय स्वामिनी भी बनें !…………माता के साथ पिता की याद आती ही है !…………सच्चा पिता कुछ कठोर होता है ,…….होना ही चाहिए ,……….परन्तु ….. ममतामयी माता का पवित्र वात्सल्य सदैव खुला रहता है !……..मलिनता में डूबी मानवता को विशेष दया विश्वेश्वरी माँ की परमकृपा से ही मिल सकती है !….. ……माँ ही हमें साफ़ स्वच्छ करके पिता की पावनी गोद में सौंपती है !…………..इस गजब निराले ब्रम्हांड के परमस्वामी हमारे परमपिता कितने विशिष्टतम अनूठे निराले होंगे ,……उनका गुणगान करने में समस्त शब्द असमर्थ हैं !…….इसीलिए हमारे पवित्र ग्रंथों में उनके अनंत नाम रूप गुण लिखे बताये हैं !……………..आज कालरात्रि है !…….भीषण संहारक तांडव करती रुद्राणी भयंकर प्रलयंकारी मुद्रा में हैं !………….उनका दर्शन राक्षसी वृत्तियों के सर्वनाश की स्पष्ट सूचना है !……इस लीलामय अद्भुत ब्रम्हांड की महायात्रा में कोई मानव या दानव कभी भी ,…कितना भी बल, बुद्धि, शक्ति संपन्न क्यों न हो जाय !…… अहंकार अपकार परपीड़ा का परिणाम विनाश ही होगा !………इस संसार में देव दानव मानव कौन ऐसा है जिसे कर्मफल न मिला हो !……..हम सब उनकी संतानें हैं ,…..हम सबके विचार भावना बुद्धि मानस कुछ भी हों ,…….हम सब परमनियमों से बंधें हैं !….हमेशा बंधे ही रहेंगे !…… कभी भी, कोई भी उन सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान की अवहेलना करके उन्नति नहीं कर सकता है !……..पतन द्वार सदैव सबके लिए खुला है !…….उस द्वार की चकाचौध भी मोहक है !………नारायण-नारायणी की महालीला के अनेकों बहुरंगी परदे हैं !………. उनकी परमक्रीड़ा को हमारा सीमित अस्तित्व कभी पूर्णतया समझ ही नहीं सकता है ! …………………………………………………………………………………………………………………………………………..नवरात्रि के कुछ और रंग भी देखते हैं ……

नवरात्रि के दौरान हमारे सेवाव्रतधारी तपस्वी पूज्य प्रधानमंत्रीजी ने अपनी पूज्य प्रिय काशी का दौरा किया !…….महामानव मोदी को शौचालय बनाते राजमिस्त्री के रूप में देखकर भारत अपने चमत्कारिक प्रधानसेवक पर पुनः मोहित गर्वित हर्षित हो गया !……….सम्पूर्ण स्वच्छता के प्रति उनके समर्पण को मानवता बारम्बार नमन करती है !…. यद्यपि .. मलिनता अपनी स्वाभाविक जड़ता के कारण हटने से यथासंभव प्रतिरोध करती ही है ,….फिर बेशर्मी से पराजित होती है !………प्रधानमंत्रीजी का प्रत्येक उद्बोधन उन्नतिशील मानवता को पवित्र प्रेरणा देता है !……..उनका प्रत्येक कर्म मलिन हो चुकी मानवता में शुभ्रता का आधान करता है !……….एकात्म मानववाद का सच्चा पुजारी कुत्सित भ्रष्टाचारी दुर्भावनाओं पर कदापि रहम नहीं करेगा !…….मानवता की सेवा ही उनका प्रथम परमधर्म है !…..

नवरात्रि के दौरान ही बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में घटित कुत्सित निंदनीय घटना की पड़ताल आवश्यक है ,…..मौजूदा दौर में राजनीति ही सबसे ऊपर रहती है !…………….बनारस से घुट्टी लेकर राहुल गांधी ने गुजरात चुनाव प्रचार की बहुत जोशो-खरोश से शुरुआत की है ,…….अर्थात ……..श्रद्धेय अमित शाहजी का गुजरात में डेढ़ सौ श्वेतकमल खिलाने का भाजपाई शुभ संकल्प निश्चित परिपूर्ण होगा !……..लोभ स्वार्थ अहंकार दुर्भावना गन्दगी कितने गुना भी बढ़ जाय ,…..स्वच्छ भावना के सामने परिणाम परिमाण से रहित होती है !……राहुल गांधी और सभी स्वच्छता विरोधी खानदानी/गैर खानदानी नेताओं/दलों व्यक्तियों को यह समझना चाहिए कि अन्धकार अनजाने में शुभ्रता को आधार भी देता है !…….मोदीजी भाजपा और संघ के साथ पवित्रतम भारतीय संस्कृति के अंधविरोधी वास्तव में उनका ही प्रचार प्रसार करते हैं !………..खैर …..उन्होंने अपनी नियति में यही लिखा है !………संसार में सबकी यथायोग्य उपयोगिता उपादेयता है !……

बनारस विश्वविद्यालय के घटनाक्रम से हमारे पूज्य महात्मन पूर्वजों को महान कष्ट हुआ होगा !…… परमपूज्य महामना जी ने जिस मानवता की सेवार्थ अपना महान जीवन लगाया उसका लक्ष्य पवित्र उन्नति है !…….डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी और उनके जैसे अनेकों महान शिक्षाविदों के महान उज्जवल सपनों पर पतित पीड़ादायक कालिख लगी है !………….आज हमारे तमाम शिक्षा मंदिरों में महान अशुद्धियाँ जम चुकी हैं !………..कुटिल कुराजों के चलते प्रत्येक स्तर पर पीडादायक मलिनता का स्थायी निवास बन चुका है !……एक बार हमारे पूज्य प्रधानमंत्रीजी ने विनोदपूर्वक कहा था कि “ मेरे भाग्य में सफाई ही लिखी है !” …………अब उनकी बात पूर्णतः सत्य लगती है !….बहरहाल …घोर निंदनीय घटनाक्रम पर दृष्टिपात करते हैं !..

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में एक छात्रा से भयानक छेड़छाड़ होती है !………….शायद इसे सामान्य घटना समझकर सुरक्षा प्रशासन लगभग मूकदर्शक बना रहता है !…….. सहनशील नारीशक्ति उद्द्वेलित होती है ,……उपकुलपति से मिलकर अपनी नित्यपीड़ा का समाधान खोजना चाहती है ,……..तुरंत उचित रास्ता न मिलने पर पीड़ित छात्राएं धरना प्रदर्शन करने लगती हैं ,……..तभी ……राजनैतिक आदमखोरों को शिकार का सुराग लग जाता है !………फिर सबकुछ अंग्रेजी में हाईजैक हो जाता है !………….शांतिपूर्ण समाधान खोजने की जगह प्रायोजित गुंडई बदमाशी शुरू हो जाती है !………..महामना के मंदिर में आग लगाई जाती है !………..हिंसा उत्पात बढ़ते देख पुलिस आन्दोलनकारियों पर लाठी बरसाती है !……..स्वाभाविक समाचारी सुर्खियाँ बनती हैं !…….कुकृत्यों की घोर निंदा अनिवार्य है !….लेकिन स्वार्थी लोभी राजनीति के गंदे खेल अतिशय अशोभनीय हैं !………..नकार विकार में डूबी राजनीति, मीडिया और सभी वर्गों के लिए पुनः स्पष्ट सन्देश है !……..स्वच्छता सकारात्मकता अपनाने में सबकी भलाई है !

पुनः वास्तविक मुद्दे पर आते हैं !……….देश विशेषकर उत्तरप्रदेश में नारायणी स्वरूपा नारी से छेड़छाड़ वास्तव में सामान्य घटना बन चुकी थी ,… अब भी है !……….योगी सरकार के सफल सार्थक प्रयासों के बावजूद भी अमानुषी शोहदों पर पूर्ण नियंत्रण संभव नहीं हुआ है !………..गन्दी कुत्सित मानसिकता बहुत गहरे जम चुकी है !………..यहाँ महामाई दुर्गा को अपमानित करने वाले कुंठित इंसान भी शिक्षक बने बैठे हैं !……..पूज्य नारीशक्ति को पुनः पूर्ण प्रेम सम्मान शक्ति मिलना स्वयं महामाई के हाथ में है !………. …लेकिन कार्यकारी कर्तव्य समूची मानवता का है !…………हमें अपने बीच के उन महापतितों को अधिकारमुक्त करना होगा जो नारी शरीर को मात्र भोग्य वस्तुमात्र समझते हैं !………..बनारस विश्वविद्यालय की छात्राएं चीफ प्राक्टर से अत्यंत नाराज हैं !……उन्होंने त्यागपत्र भी दे दिया है !……. उपकुलपति महोदय की अहैतुकी अहंकारयुक्त लापरवाही भी स्पष्ट लगती है !…………..ज्ञान का पवित्र प्रकाश फैलाने वाले महामंदिर में अँधेरे का होना प्रशासन का दंडनीय अपराध है !…………हम छात्राओं और नारियों को ही समय के पाबन्द क्यों करना चाहते हैं !………छात्रावासों के नियम छात्र छात्रा सबके लिए समान प्रभावी होने चाहिए !……….जहाँ से मानवता को एकता शोध संधान का महाप्रकाश मिलना चाहिए वहां से निम्नतम मानसिकता की बदबू क्यों फैलती है !………..हमारे ज्ञानदानी शिक्षक क्यों अहंकारी गुट्बाज नीच नेता बन गए हैं !……..हमारे वैचारिक मतभेद क्यों मानवीय मानस को प्रदूषित छिन्न-भिन्न कर देते हैं !…….कम ज्यादा दोषी हम सब हैं ,….लेकिन जो अपने दोषों को देख सुधार नहीं पाते वो भयानक दंड के पात्र बनेंगे !

…..इस संसार में कौन ऐसा है तो धरती का एक नैनोमीटर टुकड़ा लेकर पैदा हुआ है !……सबकुछ यही से मिला है ,…यहीं रह जाना है !……..हमारे साथ सिर्फ हमारे अच्छे बुरे संस्कार चलते हैं !………हम इस घटना पर समाचारपत्रों में छपी ख़ुफ़िया रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत हैं !…………..विश्वविद्यालय का प्रशासन अहंकारी लापरवाह था ,……..और ….. बाहरी बदमाशों ने अपने नीच राजनैतिक आकाओं के लिए घोर नीचता की है !…………..छेड़खानी करने वाले बदमाश युवकों में बहुत संभव है कि कोई बड़े बदमाशों का पालतू कुत्ता ही हो !………..यह पूरी घटना कुत्सित कायर मिथ्याभिमानी भ्रष्ट पराजित राजनीति द्वारा प्रायोजित लगती है !………………..मिथ्याचारियों की नीचता के लिए हम पीड़ित छात्राओं और सम्पूर्ण नारी जाति से सादर क्षमा मांगते हैं !…….हम अपनी श्रेष्ठ सरकारों से विनम्र निवेदन करते हैं कि शिक्षमंदिरों से कलुषता मिटाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए !………सभी विश्वविद्यालयों से विषैली बदमाशी निकाल देनी होगी !…….अनुशासनहीन अनैतिक तत्वों को विद्या लेने देने का अधिकार नहीं है !…………… अनाधिकारी तत्व हमारे विद्यामंदिरों का द्वार पार ही न कर सकें !…….घुस चुके अमानुषों को बाहर निकाल फेकना होगा !………….हमारी महान शिक्षक छात्र शक्ति मिलकर महान सुकर्म में महान सहयोग कर सकते हैं !……

सम्पूर्ण समाज से कलुषता मिटाने में समय लग सकता है ,……क्योंकि एक सड़ी मछली भी पूरे तालाब को दुर्गंधित कर देती है !……..हमारे काफी लोग अधर्म में लीन हो चुके हैं ,……उनकी कुसंस्कारी शिक्षाओं में ही बलात भोग जायज है !…..उनकी रजसयुक्त तामसिकता में गुप्त सत्व लुप्तप्राय हो चुका है !……..कुसंस्कारी चरित्रहीनों की संतानों से हम स्वच्छ चरित्र की आशा कैसे कर सकते हैं !…..कोई बिरला ही होता है जो कीचड़ में कमलवत पवित्र रहता है !………जिनकी उत्पत्ति ,लालन पालन गन्दगी में ही हुआ है उनके लिए सुखदायी स्वच्छता पाना कुछ कठिन सौदा होगा !……..दुःख में रस लेने वाले भी स्वभावतः राक्षस हो जाते हैं !…….शुभ्रता अपनाने वालों को पवित्र सुखदायी शान्ति स्वयं अपना लेती है ,….परन्तु ……स्वच्छता शुभ्रता के लिए संयमित परिश्रम करना ही पड़ता है ! ………. हमें चंद निष्ठुर अहंकारी चरित्रहीनों को उनकी अतिसीमित औकात में ही रखना चाहिये !…….नशा मानवता के सर्वनाश की जड़ है !………मौजूदा परिस्थितियों में हमें अपनी जेलों को भी और विस्तृत उपयोगी बनाना चाहिए !…….त्वरित न्याय मानवता की अनिवार्य आवश्यकता है !…..यद्यपि नैतिक उन्नति सामजिक दायित्व है,……लेकिन ……अपराधिता को निरंतर यथार्थ दंड देना और सज्जनता को सतत समर्थन देना राजसत्ता का विशेष धर्म है !………हमें गर्व है कि आज भारत में ऐसा करने वाली लोकप्रिय सत्यनिष्ठ राजसत्ता स्थापित है !……….भारत भूमि पर महानतम सज्जनशक्ति रहती है !…….कन्यापूजन करने वालों में कुत्सितता घर नहीं बना सकती है ,…..लेकिन अन्य मानसिक धाराओं का अस्तित्व भी यथार्थ है !……उनकी विषैली छाया प्रधान सत्व को भी प्रदूषित करती है !……..कुकर्मों कुकर्मियों का पीडादायक विनाश सदैव सुनिश्चित है !…….पूर्ण पतन के पश्चात महाप्रलय का परमविधान है !…………. ………….सर्वशक्तिमान नारायणी के लिए लिंगभेद का विशेष महत्त्व नहीं होता होगा !…………माता अपनी नर मादा औलाद में आतंरिक भेद नहीं करती है !………… किसी भी कारणवश कुत्सित कुसंस्कारी अधम हो चुके नरपशुवों को सावधानीपूर्वक अपनी विवेचना करनी चाहिए !….

…नारीशक्ति को भी शुचितापूर्ण आत्मबल के लिए सार्थक प्रयत्न करते रहना चाहिए !………शुद्ध आत्मा लिंगभेद से रहित है !……..प्रत्येक पुरुष में नारीत्व और प्रत्येक नारी में पुरुषत्व अन्तर्निहित रहता है !…….सद्भावना दुर्भावना ,…शुचिता अशुचिता भी लिंगभेद नहीं करती है !…….दैवीय परिणाम नियम सबके लिए एक समान हैं !…….सहनशील नारीशक्ति के साहस शौर्य से भुलक्कड़ भोगी संसार भी सुविज्ञ है !……फिरभी आज संसारी मानवता में मासूमियत निर्ममता से नोची जाती है !…….हमें प्रत्येक स्तर पर महान प्रयत्न करने और करते रहने होंगे !………प्रेममयी कोमल उदार नारीशक्ति के अन्याय प्रतिरोधी प्रचंड भाव को सतत उन्नत प्रखर प्रभावी करते रहना चाहिए !……..इसके लिए समस्त सज्जनशक्ति उत्तरदायी है ! …….प्रत्येक घर गली बाजार चौराहे या अंतरजाल पर किसी भी राक्षसी नीचता का सामूहिक शक्तिशाली प्रतिकार होना ही चाहिए !……..वैसे अब नारी का खोया आत्मगौरव लौट रहा है !……..अब सड़कछाप मजनुओं को उनके छठी का दूध अक्सर याद आता है !… ….सरकार समाज के सम्मिलित प्रयासों के सुफल दिखने लगे हैं ,…..लेकिन लम्बे लुटेरे राज में फैले मलिन अन्धकार को पूर्णतया मिटाना तत्काल संभव नहीं लगता !………हमारी शिक्षा प्रणाली में शीघ्र आमूलचूल परिवर्तन करना होगा !………नैतिक शिक्षाओं का सर्वव्यापी प्रसार करना होगा !…….एक प्रेरक वाक्य को बार बार पढने मात्र से हममें गुप्त शुचिता जागृत होने लगती है !….

हम अपनी श्रेष्ठ सरकारों से उनके महान दायित्व के निर्वहन की पूर्ण अपेक्षा रखते हैं !………हमारे पूज्य प्रधानमंत्रीजी मातृशक्ति के अनन्य उपासक हैं !……..हम महामाई से उनकी सम्पूर्ण सफलता की प्रार्थना करते हैं !…….हम महामाई से यह प्रार्थना भी करते हैं कि उनके मलिनतम अंधविरोधियों में भी शुचिता के प्रति तीव्र आग्रह जागृत करें !……….महज मोदी विरोध के लिए हरामपंथी अमानुषता का भारतद्रोही मानवद्रोही मुद्रा अपनाना उनके साथ सबके लिए हानिकारक है !……..महामानव नरेंद्र भाई मोदीजी की पवित्र भावना मानवता के लिए वरदान है ,….उनकी प्रचंड कार्यसंस्कृति सर्वसेवी है !……..वो आपदाओं को भी अवसरों में परिवर्तित करने की महान शक्ति रखते हैं !………बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पुनः प्रकटी इस भयानक मलिनता से भी हम पवित्र ऊर्जा उत्पन्न होने की प्रबल आशा करते हैं !…….हम विश्वास करते हैं कि हमारे विश्वविद्यालयों से मूढ़ अंधी मलिनता का सर्वनाश होगा … और …..संसार को वहां से अखंड पवित्र प्रकाश ही प्राप्त होगा !

अंततः …….नारायण और नारायणी में ‘बड़ी ई’ का अंतर मात्र मात्रिक नहीं है !…………हे नारायण !….. अपनी परम प्रियतमा ‘बड़ी ई’ की महानतम महत्ता आपको पुनः सिद्ध करनी है !……..कालरात्रि का भयानक स्वरुप शुभंकरी भी कहलाता है !……..कालरात्रि के बाद ही महागौरी सिद्धिदात्री के पावन स्वरुप मिलते हैं !…….सर्वेश्वर नारायण आवश्यकता पड़ने पर महाकाल महारुद्र भी बन जाते हैं !……….महामाई नारायणी अपने प्रत्येक स्वरुप में स्वयंसिद्ध है !…………हम पुनः पुनः अपनी परमस्वामिनी महामाई के सभी स्वरूपों की सादर वंदना अभ्यर्थना प्रार्थना करते हैं !……हममें पसरे मूर्खतापूर्ण अहंकारी अंधभोगी राक्षसत्व का शीघ्र अंत करो माँ !……..इस धरा को शीघ्र भगवत्ता से परम प्रकाशित करो माँ !……आप परमपवित्रा परमशक्ति अपनी अनंत परमकृपा से सबका कल्याण करो !……आपकी सदा सर्वदा जय हो महामाई नारायणी !….आपकी सदा सर्वदा जयकार गूंजती रहे !…..आप परमप्रभु के साथ सदा हमारे हृदयस्थल में सचेतन निवास करो !…..हमारी जड़ बुद्धि मन इन्द्रियां आपकी चैतन्य निर्मलता से सदा पुलकित रहे !…....असतो मा सद्गमय !!……तमसो मा ज्योतिर्गमय !!…..मृत्योर्मा अमृतंगमय !!…..……ॐ शान्ति !………..भारत माता की जय !!………..वन्देमातरम !!!

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