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नेतृत्‍व का दायित्व

युवामंच
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समाचारों के अनुसार रेल हादसों से आहत हमारे कर्मठ रेलमंत्रीजी ने त्यागपत्र दे दिया है, प्रधानमंत्रीजी ने उन्हें प्रतीक्षा करने को कहा है। हमारे विशाल देश में रेल हादसों का लम्बा इतिहास है, अनेकों यात्री जिंदगियां इन हादसों का शिकार हुई हैं। अधिकाँश हादसे मानवीय चूकों का प्रतिफल होते हैं। कभी-कभार मशीन भी भ्रष्ट हो जाती है, इसका उत्तरदायी भी इंसान है।  यदाकदा हरामपंथी अमानुषों के कारनामे भी मिलते हैं, शरारती आदमखोर पटरियां काटकर या लौह बंधन निकालकर मानवता की हत्या का प्रयास करते हैं। कई जगहों पर सजग रेलकर्मियों ने साजिशों को नाकाम किया है। तमाम रेलकर्मियों की कर्मठता पर चंद स्वार्थी बेईमान तत्व कभी कभी भारी पड़ जाते हैं।


Train accident


खतौली मामले में रेलपथ अनुरक्षण के जिम्मेदार कर्मियों ने भयानक शरारत की है। आवश्यक सूचना सावधानी सजगता के बिना पथकार्य करना लापरवाही नहीं, हत्यारी उद्दंडता है। बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर्याप्त नहीं लगती है। यह जमीनी जिम्मेदार कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ इरादतन/गैरइरादतन सामूहिक हत्या का सिद्ध मामला है।


माननीय सुरेशप्रभुजी बदहाल भारतीय रेल के लिए बड़ी आशा बनकर उभरे थे। परेशान यात्री के ट्वीट पर आधी रात को दवा-दूध जैसी आपात आवश्यकताएं पूरी कराने वाले प्रभुजी के कर्मयोग पर देश को बहुत भरोसा है। मोदीजी उनको भ्रष्टाचार में डूबी भारतीय रेल के कायाकल्प के लिए लाये थे। प्रभुजी पूरे परिश्रम से संकल्पित दुर्गम लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं। भ्रष्टतम बाबूगिरी के बंधन अमानवीय बेईमानी के जंजाल हैं।


भारतवर्ष के आरामतलब बेईमान अधिकारियों को अपने तलवे के नीचे की जमीन देखनी चाहिए। इंसान जिस जमीन पर जिन्दा है, वो हमारी या हमारे बाप-दादों की नहीं, किसी और की है। लोभी मरीजों को पुनः-पुनः चेतावनी बहुत जरूरी है। फ़ौरन सुधर जाओ, अन्यथा तौबा करने का लौकिक मौका भी शायद ही नसीब हो। कर्म प्रधान संसार में हमें प्रत्येक कर्मफल भोगना ही पड़ेगा। देश धर्म मानवता से बेईमानी गद्दारी का विशाल कुफल अत्यंत कड़वा भी होगा।


बहरहाल, मानवीय भूलों, लापरवाहियों, अपराधों से देश में तमाम रेल हादसे हुए हैं। शास्त्रीजी और प्रभुजी के बीच लम्बा कालखंड गुजरा है। मानवीय भूलों के पीछे के कारण भी हमें समझने होंगे। भारतीय रेल  भारत का एक गौरव है। पूरे रेलतंत्र को अपने कर्तव्य के पूर्णपालन के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। औरेय्या हादसे में रेलपथ पर डम्पर होना बहुत ही गलत कारण है।


सामान्य जागरूकता का दायित्व प्रत्येक को लेना चाहिए। हमारी श्रेष्ठ सरकार ने मानवरहित समपार हटाने में विशेष सफलता पायी है। आवश्यक मानवरहित समपारों पर विशेष संकेतक भी लगाए जा सकते हैं। हादसों अपवादों के सिवा सुरेश प्रभु जी के छोटे से कार्यकाल में भारतीय रेल ने तेज उत्तम उन्नति पायी है। उनकी अमूल्य सेवाओं के लिए हम उनके हार्दिक आभारी हैं। नैतिक जिम्मेदारी पर आधारित उनके त्यागपत्र पर यथोचित निर्णय लेना प्रधानमंत्रीजी का दायित्व है। राष्ट्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार पुनर्गठन की चर्चाएँ भी हैं। उत्तरोत्तर उत्तम मंत्रिमंडल का गठन भी प्रधानमंत्रीजी का मुख्य दायित्व है।


दायित्व हम सबका शेष । ‘डेरा सच्चा सौदा’ प्रमुख के ऊपर बलात्कार का घिनौना आरोप है। न्यायिक प्रक्रिया अंतिम चरण में है। मामला फंसता देख डेरा समर्थकों ने पंचकूला चंडीगढ़ समेत कुछ स्थानों पर लाठी डंडों हथियारों सहित डेरा डाल दिया है। फिलहाल वो भजन कीर्तन ही कर रहे हैं। पर्याप्त प्रशासनिक मुस्तैदी दिखने के बावजूद आशंकाएं गंभीर हैं।


हरियाणा पंजाब के हालात इंसानियत को खौफजदा करने वाले हैं। डेरा सच्चा सौदा ने स्वच्छता नशामुक्ति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है, लेकिन डेरा नेतृत्व की वर्तमान मनोदशा बहुत ही मलिन दिखती है। अनुयायी भावनाओं को संभालने का पूरा दायित्व नेतृत्व का होता है। यहाँ डेरे ने पहले ही अपने दायित्व को उतार फेंका है। भरपूर भीड़ जुटाने के प्रबंध पूरे हैं, लेकिन इंसान कहाने लायक कर्तव्य करने में गन्दा अहंकार रूकावट है।


डेरा प्रमुख को समझना चाहिए कि निम्नउन्नति/अल्पउन्नति/अर्धउन्नति का ख़ास सुफल नहीं मिलता है। परमात्मा को हाजिरनाजिर कहने और मानने में बहुत अंतर है। साधनापथ पर ऐसा समय भी आता है, जब साधक को भ्रमपूर्ण अनुभूतियों द्वारा कुछ शक्तियां मिलती हैं। अहंकार वासना कामना द्वारा निर्देशित होने पर साधक का पतन निश्चित हो जाता है।


साधनाच्युत साधक अत्यंत निम्न मानसिकता का गुलाम बन सकता है। प्रदर्शन को आतुर कामना इंसान को साधना से गिरा देती है। स्वयं को गुरु कहाने वाले गुरमीत राम रहीम को इंसानियत पुनः समझनी चाहिए। आस्तिकता के चमकदार मुखौटे में नास्तिक भोगलिप्सा पालना भयंकर भूल है। समर्थक तो रावण कंस जैसों के भी थे, लालू सोनिया जैसों के भी हैं ।

डेरा प्रमुख में जरा भी इंसानियत है, तो उन्हें फैसले से पहले अपने भक्तों/समर्थकों/प्रेमियों को हर हाल में शान्त रहने का सख्त आदेश देना चाहिए। यदि उन्होंने अपराध किया है तो सजा मिलनी चाहिए। दंद-फंद द्वारा लौकिक दंड से बच भी गए तो अंतिम परिणाम और दर्दनाक मिलेगा। सच्चे संत के लिए जेल आश्रम राजमहल में कोई अंतर नहीं होता। असंत ढोंगियों को जेल की आदत भी डालनी चाहिए। अहंकारी क्षुद्रशक्ति के बूते न्यायतंत्र सरकार समाज को डराने का बेहूदा प्रयत्न महापाप है।


न्यायालय सत्य न्याय के प्रति उत्तरदायी होता है। सरकारें संविधान राष्ट्र समाज के प्रति उत्तरदायी होती हैं। अंततः हम सब एक परमशक्ति के प्रति उत्तरदायी हैं। दायित्वपूर्ति मानवता का महान सद्गुण है। दायित्वबोध भी बड़ी उपलब्धि है। हम सबको अपने दायित्वपूर्ति के भरसक प्रयत्न करने चाहिए।

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