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इस स्वतंत्रता दिवस की मिठास कुछ विशेष स्वादिष्ट लगी

युवामंच
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भारत ने उत्साहपूर्वक अपना ७१वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। यूं तो प्रत्येक राष्ट्रीय पर्व जनमानस में उत्साह भरता है, लेकिन इस बार विशेष उत्साह रहा। पूर्वसंध्या पर महामहिम राष्ट्रपति महोदय का सन्देश बहुत सरल व प्रभावशाली रहा। इस बार लालकिले से प्रधानमंत्री जी का उद्बोधन हमारी सुराज यात्रा का विशेष महाबिंदु लगता है। बहुत दिनों से खाऊ मालदारों के चंगुल में फंसी भारतीय व्यवस्था अब ईमानदार आम जनता की वास्तविक हितैषी बन रही है। बेईमानों, मक्कारों के दिन तेजी से लद रहे हैं। हिंसक अंधश्रद्धा पर इस बार लालकिले से प्रहार हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा श्रेष्ठ सरकार की प्रथम प्रतिबद्धता है।


Tiranga


घुसपैठ का आदी चीन नित्य युद्ध की धमकी दे रहा है। शायद अब तक वो समझ चुका होगा कि युद्ध की स्थिति में उसे तिब्बत को आजाद करना होगा। स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में दुनिया की छत तिब्बत के लिए अत्यंत उपयोगी व लाभदायक होगी। अतिशय पीड़ित शांतिप्रिय तिब्बती मानवता का आत्मीय आशीर्वाद पाकर संसार स्थिरता, शान्ति व प्रसन्नता प्राप्त करेगा।


शांतिप्रिय, खुशमिजाज भूटान और भारत की प्रगाढ़ प्रेमिल मैत्री से आक्रान्ता चीन पगलाया है। अमानुषी चीन, आतंकपरस्त पापी पाकिस्तान से फौलादी मित्रता प्रदर्शित कर अपनी झेंप मिटाता है। यद्यपि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को स्वार्थी चीन अपने औजार उपकरण की तरह इस्तेमाल करता है और लगातार करना चाहता है। आज इन देशों में आम मनुजता स्वतंत्रता का स्तर दयनीय है। चीन एक प्राचीन राष्ट्र है, चीनी नेतृत्व को समझना चाहिए कि मानवीय संसार में अमानुषता का भविष्य काला ही होता है। हम अमानुषी सत्ताओं को भी सद्बुद्धि और उज्ज्‍वल मानवता प्राप्ति की कामना करते हैं।


इस स्वतंत्रता दिवस की मिठास कुछ विशेष स्वादिष्ट लगी। इस स्वतंत्रता दिवस से पहले ही हमारे प्रधानमंत्रीजी ने पूर्ण राष्ट्रीय स्वास्थ्य का पञ्च वर्षीय पवित्र लक्ष्य प्रस्तुत किया है। भारत ने 2022 तक आतंकवाद, भ्रष्टाचार, बेईमानी, गन्दगी और कुशिक्षा आदि बुराइयां मिटाने के साथ आर्थिक, मानसिक, सामाजिक और आत्मीय उन्नति का दृढ़ संकल्प किया है। ‘संकल्प से सिद्धि करेंगे और करके रहेंगे’ हमारे राष्ट्रीय मन्त्र बन रहे हैं। संकल्पित मानवता के पूज्य प्रयत्नों से हमारी तमाम बीमारियाँ और बुराइयां तेजी से सिमट रही हैं। यद्यपि आज भी हमारे सामने तमाम गंभीर समस्याएं हैं, लेकिन श्रेष्ठ, कर्मठ सरकार और आध्यात्मिक समर्पित समाज मिलकर सब कुछ संभव कर सकते हैं। दूषित मानसिकता वाले निराशावादियों की सद्भावनापूर्वक उपेक्षा ही उचित है। शुभता की राह में रोड़े कांटे बिछाने वाले अमानुषों को नियति/व्यवस्था से यथायोग्य क्रूरदंड ही मिलेगा। शुभ्रपथिकों को समुचित सहायता देना नियति/व्यवस्था का दायित्व है।


भारत में इस बार बाढ़ का भयानक प्रकोप हुआ है। हमारे कई प्रदेश सैलाबी विभीषिका से जूझ रहे हैं। सैकड़ों जिंदगियां समाप्त हो चुकी हैं। बड़ी मानवता जलप्रलय से पीड़ित है। कृषि, पशुधन समेत जानमाल की काफी हानि हुई है। हमारी सेना, NDRF, SDRF आदि संगठनों के जवान परिश्रमपूर्वक मानवता को बचाने और राहत पहुंचाने में जुटे हैं। अब बिहार व उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में हालात गंभीर हैं। कई कच्चे तटबंध टूट गए हैं। दूर-दराज क्षेत्रों में पर्याप्त राहत पहुंचने की प्रतीक्षा है। यहाँ आम प्रशासनिक मशीनरी आवश्यकतानुसार सक्रिय नहीं लगती है। जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ राजनीतिक व स्वयंसेवी संगठनों को भी सक्रियता से मानवसेवा में जुटना चाहिए। पीड़ितों को राहत पहुंचाने का संकल्प प्रत्येक नागरिक का होना चाहिए।


‘प्रधानमंत्री राहत कोष’ के सार्वजनिक द्वार खुलने चाहिए। पीड़ितों को सहायता तथा सेवकों को सुविधा मिलनी चाहिए। हमें शीघ्र ऐसी सुविधाजनक व्यवस्था चाहिए, जिससे हम भरपूर दान दे सकें। प्रत्येक भारतीय को न्यूनतम अपनी एक दिहाड़ी प्रधानमंत्री राहत कोष में अवश्य दान करनी चाहिए। यथासंभव अधिकाधिक दान करना पुण्यशाली मानवकर्तव्य है। हमें इतना दान देना चाहिए, जिससे सहायता, पुनर्वास, निर्माण के लिए भारत सरकार का मुख्यकोष तनिक भी प्रभावित न हो। आगामी वर्षा ऋतु से पहले हमारे सभी संवेदनशील तटबंध पक्के होने चाहिए। हमें प्रत्येक पीड़ित मानवता की भरपूर सहायता करनी चाहिए। हमारा राष्ट्रीय राहत कोष सदैव लबालब रहना चाहिए।


अंततः संकल्प से सिद्धि का मार्ग साधना से होकर जाता है। हमें निःस्वार्थ कर्मयोगी श्रेष्ठ नेतृत्व प्राप्त है। मानवता को मिलकर अपने उत्तम भविष्य का निर्माण करते रहना चाहिए। साधनापथ पर अवरोधों की उपस्थिति अनिवार्य परीक्षा है। मानवता को प्रत्येक परीक्षा उत्तीर्ण करने का सबल सक्रिय संकल्प धारण करना होता है। हमारा पवित्र संकल्प अवश्य ही पूर्णसिद्धि प्राप्त करेगा। भगवत्ता सदैव मानवता की सहयोगी रहती है। मानवता का उन्नत अकल्पनीय युग में प्रवेश अवश्यम्भावी सिद्धि संभावना है। इस अवसर पर हम अपने अमर शहीदों को पुनः पुनः नमन करते हैं, हार्दिक श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

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