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आतंकवाद से अब निर्णायक युद्ध होना चाहिए

युवामंच
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कश्मीर में बाबा अमरनाथ के श्रद्धालुओं से भरी बस पर कायराना आतंकी हमला हुआ। इस क्रूरता से सात जिंदगियां समाप्त हो गयी। कई घायल हुए। सुरक्षा पर सवाल और मानवता का नासूर बने आतंकवाद की पीड़ा का इलाज, हिसाब किताब एक बात है, लेकिन एक बात तो तय है कि महादेव के भक्तों पर कायराना हमला करके क्रूर आतंकियों ने अपना निर्मम पूर्णांत निश्चित कर लिया है।

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कुत्सित आतंक की हर तरफ निंदा हो रही है, लेकिन कब तक हम केवल श्रद्धांजलि देते रहेंगे, निंदा करते रहेंगे। आतंकवाद से अब और प्रचंड व निर्णायक युद्ध होना चाहिए। यद्यपि हमारे श्रेष्ठ सुरक्षाबल सराहनीय वीरता से लड़ रहे हैं। तमाम आतंकी घुसपैठिये मारे-पकड़े जा रहे हैं, लेकिन चालबाज आतंकी पैरोकारों से लड़ पाना उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता। गुप्त प्रकट आतंकी पैरोकार हमारे सुरक्षाबलों का मनोबल कमजोर करते हैं। अब वह समय आ गया है, जब आतंक के प्रत्येक पैरोकार को बदलना मिटाना या दरकिनार करना होगा।

जम्मू-कश्मीर राज्य का मानवाधिकार आयोग किस मूर्खताप के आधीन काम करता है। भारतीय मेजर की बौद्धिक शूरवीरता ने एक अपराधी का जलूस निकालकर अनेकों मासूम जिंदगियां बचाई। भारत अपनी वन्दनीय सेना को बारम्बार प्रणाम करता है। अब आतंकियों की ढाल बनने वाले पत्थरबाजों को उनसे पहले उनकी बहत्तर हूरों से मिलाना होगा।

हमारे पास इंसान से प्रेम करने के प्रत्येक कारण हो सकते हैं, लेकिन आतंकपरस्त इस्लाम को अब मिटना ही होगा। भारत भूमि के बहुसंख्यक मुसलमान अपनी मातृभूमि, अपने पूर्वजों, परंपराओं, अपने भारत से प्रेम करते हैं। हममें अनंत सनातन संस्कार जीवित हैं। इस हमले से मानवता पुनः सुन्न हुई है। कुत्सितता में जकड़ी मासूम कश्मीरियत कसमसाई है। पूरे कश्मीर को आतंक से आजाद करना हमारा राष्ट्रधर्म है।

सुसंस्कारों को दग्धबीज कर चुके आतंकवाद के ठोस अनुगामियों को मिटाने के लिए हमें उनसे अधिक ठोस मानसिकता अपनानी पड़ेगी। हमारी समर्थ सेना सभी चुनौतियों से निपटने में पूर्णतया सक्षम है। हमारे नागरिक अपनी श्रेष्ठ मोदी सरकार के उत्तम उपायों को अपनाएंगे। हममें से तमाम अपने कश्मीर में रहना चाहते हैं।

गुजराती तीर्थयात्रियों से कश्मीर में यही गलती हुई। प्रबल आत्मइच्छा ने उनको निर्धारित सुरक्षा प्रक्रिया का उल्लंघन करने पर विवश किया होगा। बहादुर बस ड्राइवर सलीम कई जिंदगियां बचाकर सच्चे भारतीय मुसलमान का प्रतीक बन चुके हैं। पीड़ितों की क्षतिपूर्ति विधाता अवश्य ही करेंगे। आतंकियों का सर्वनाश भी सुनिश्चत ही लगता है। हमें अपने कर्तव्यों पर और पूर्णदृढ़ होना होगा।

महाकाल के भक्त किसी का भय नहीं करते हैं। पूरे भारत की तरह हमें कश्मीर में भी बसने की आज्ञा और अवसर चाहिए। पापी पाकिस्तान के हुकूमती कुकर्मों का कुफल उनको भुगतना ही होगा। हमें पुनः याद करना चाहिए कि पाप, अहंकार का कारण कुछ भी हो, उसका उत्थान कैसा भी हो, कितना भी हो, अंतिम परिणाम पाप पतन पीड़ा ही होता है। श्रेष्ठ मानवता को अपने कर्तव्यपथ पर दृढ़तापूर्वक चलते रहना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ जनमन अत्यंत क्रुद्ध है। ठोस नास्तिकता और अंधी आस्तिकता दोनों का परिणाम विनाशकारी होता है। इनसे बचना हर मानव का कर्तव्य है।

कर्तव्य से याद आया, कांग्रेस पार्टी के युवराज पता नहीं किस कर्तव्यपालन के लिए चीनी राजदूत से मिलने गए। किसी के मेलजोल पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए, लेकिन यहाँ भी कर्तव्य प्रमुख हो जाता है। पाप, नास्तिकता, कपट, क्रूरता के भरकम बोझ तले दबा शत्रुवत देश चीन कुंठित सा लगता है। वैश्विक नंगई पर उतारू क्रूर चीनी सत्ता हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी को सहन नहीं कर पा रही है।

कुछ यही हाल भ्रष्टाचार में डूबे गांधी खानदान का भी है। संदेह तब अधिक गहराता है, जब दोनों पक्ष इनकार इकरार में उलझ जाते हैं। बेचैन चीन मोदीजी को बाल बराबर नीचे दिखाने के लिए कुछ भी कर सकता है। कुछ यही बेचैनी कांग्रेस पार्टी के युवराज में भी है। कांग्रेसी तो उनके विरोध में कहीं भी कभी भी नंगे हो सकते हैं। लालू, माया, ममता आदि बेईमान अंधविरोधी भी इसी पतनपथ के पथिक हैं।

बदमाश वामपंथ का मूलाधार ही लूट हिंसा है। मूल बात पीछे रह गयी, चीनी राजदूत से मिलने के कुछ संभावित कारण क्या हो सकते हैं। नंबर एक- मौसम पर मुलाकात करना हो सकता है, जानकारी जरूरी हो सकती है, जानकारी के आधार पर ही जुगाड़ बनते हैं। नंबर दो- कोई पुख्ता सेटिंग करनी हो, भ्रष्टाचार की लती राजनीति नौकरशाही समेत पूरी लोभी मंडली में मोदीजी के प्रति चीन से भी ज्यादा कुंठा हो सकती है। अन्धलोभियों को अब अपना कालाधन बचाने-उपजाने का कोई रास्ता नहीं दिखता है। कई करों के मकड़जाल में उलझा अर्थतंत्र अब स्वच्छ, सरल, एकल कर में बदल चुका है। समानांतर चलती काली अर्थव्यवस्था की बड़ी हानियों से अब देश मुक्त होगा। अच्छे सरल एकल ‘वस्तु एवं सेवा कर’ का नाजायज विरोध करने वालों ने अपने राजनीतिक अंत पर पुनः मुहर लगा दी है।

. हमारे राष्ट्रीय तंत्र को स्वार्थी दुष्टों के प्रति अति सावधान रहना चाहिए। गुप्त मतदान वाले राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी स्तर पर खरीद-फरोख्त का प्रयास संभावित है।

हमें अपना दूषित अतीत नहीं भूलना चाहिए। यहां सांसद-विधायक सरेआम बिकते रहे हैं। भारत रामनाथ कोविंद का अपने नए महामहिम के रूप में अभिनन्दन करने को व्याकुल है। विरोध का कर्तव्य विरोधियों से कुछ भी कराता है। राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्यक्ष युद्ध जमीनी संघर्ष से निखरे योग्यतम व्यक्तित्व और चांदी का चम्मच मुंह में लेकर जन्मी कुलीन कठपुतली के बीच है। प्रत्येक भारतीय कण राष्ट्रसेवा में समर्पित सच्चे निःस्वार्थी तपस्वी समतावादी संघ का ऋणी है।

बेईमान बदनाम विरोधियों की अमानुषी बौखलाहट उनका पतन ही लाएगी। बहरहाल… फर्जी सजावट-दिखावट चीन का ख़ास व्यापार भी है। कानूनी संधियां सरकारों को बाध्य करती हैं, लेकिन संसार भर की मानवता को चीनी उत्पादों का यथासंभव बहिष्कार करना चाहिए। अब भारत अपने नागरिकों से चीनी सामान के पूर्ण बहिष्कार की अपेक्षा रखता है। चीनी सामान अपने घटियापन के लिए प्रसिद्ध हैं। हमें गौ-गोबर, शुद्ध मिट्टी, अन्न, रंग आदि पवित्र साधनों से मूर्ति चिन्ह प्रतीक बनाकर पूजा करना मंजूर हो, लेकिन सस्ती, चालबाज चीनी चमक में हमें कदापि नहीं फंसना चाहिए।

चीन जहरीली खाद्य सामग्रियां भी बनाता है। नकली चावलों व अण्डों के कई प्रमाण मिल चुके हैं। भारत सरकार ने उनकी विषैली खाद्य सामग्रियों पर प्रभावी अंकुश लगाया है। हमें अपने शत्रुवत देश द्वारा बनी उत्तम वस्तु का भी बहिष्कार ही करना चाहिए। हमारी सक्षम, मेधावी, परिश्रमी युवाशक्ति को उससे भी उत्तम उपयोगी वस्तु का निर्माण करना चाहिए। पूरी मानवता को मिलकर अहंकारी असुरशक्ति को शक्तिहीन करना ही चाहिए।

बहरहाल, मुलाकाती कयासों में एक संभावना गुजरात चुनाव भी हो सकते हैं। स्पष्टतः कांग्रेस पाकिस्तान-चीन पापियों, आतंकियों की साझी तकलीफ मोदी जी हैं। अमरनाथ यात्रियों पर कुत्सित हमला मोदी को गुजरात में गिराने का साझा प्रयास भी हो सकता है। परिवर्तन के महान दौर में नकारात्मकता फैलाने के भरपूर प्रयास लगातार हो रहे हैं, लेकिन जनमन अपने सुखद भविष्य के प्रति उत्साहित व आश्वस्त है। भ्रष्टाचारियों, अहंकारियों, पापियों की बर्बादी प्रकृति की सुनिश्चित प्रक्रिया है। प्रत्येक मानव प्राणी चैतन्य की गुप्त प्रतिज्ञा भगवत्ता से मिलना है। हममें से कोई भी भागवत क्रियाविधि को समझने में सक्षम नहीं है। हम अल्पज्ञ, अनभिज्ञ, मूर्ख मानव अपने महादेव रुद्रेश्वर, जगतजननी भवानी पार्वती से सबके कल्याण की प्रार्थना करते हैं।

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