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अभिव्यक्ति !

युवामंच
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आदरणीय मित्रों ,….सादर प्रणाम !

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बौद्धिक देशद्रोही समूह पुनः उभरा है !………ताजा मामला दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़ा है !…….एक छात्र संगठन को स्पष्ट राष्ट्रविरोधी व्यक्ति ही सर्वज्ञानी वक्ता लगा !……….राष्ट्रभक्तों को यह बात नागवार गुजरी ,….समर्थन विरोध में हाथापाई मारपीट की नौबत आ गयी ,….अभी तक विवाद प्रदर्शन मार्च आदि जारी हैं ,…….शिक्षा केन्द्रों में एसी घटनाओं से चिंता होना स्वाभाविक है !………हमारे माननीय महामहिम जी ने ठीक कहा है ,…….शिक्षा केन्द्रों में तार्किक बहस ही होनी चाहिए !…..लेकिन …..अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में देशद्रोह कैसे जायज हो सकता है ?…..हमारी सहनशीलता अप्रतिम है ,….लेकिन …..शिक्षातंत्र में घुसी नीचता का निराकरण होना चाहिए !…..मौजूद देशद्रोही नीचता यदाकदा मुखर होती है ,……..तीक्ष्ण बुद्धि जब अपनी खुराक निम्नतम इन्द्रिय से लेती है तो मानसिक दोगलापन पतन स्खलन निश्चित है !……..उमर खालिद जैसों और उनके मास्टरों का हाल मानवीय दृष्टिकोण से धोबी के बीमार कुत्ते जैसा है या होने वाला है !……….वैसे यह मस्त भारत है ,..यहाँ भारतीय संसाधनों पर इस्लामिक प्रथमाधिकार का वकालती लुटेरों का सरदार मनमोहन सिंह धर्मनिरपेक्ष कहा जाता है ,….यहाँ सबका साथ सबका विकास चाहने और करने वाला सत्यनिष्ठ मोदी कट्टरपंथी कहा जाता है !…………पतित बुद्धिजीविता तस्लीमाजी जैसी स्पष्टवादी को कुचलना चाहती है !……..यहाँ तारिक फ़तेह साहब जैसे पीड़ित सुधारक पथिक को पीटा गरियाया जाता है !………….आतंकी हमलों में मानवीय हानि पर कुकर्मी बुद्धिजीवी समुदाय अपने निम्नानंद में निमग्न रहता है !……..उन्हें पत्थरबाजों में मासूम इंसान तो दिखते हैं ,…..हमारे वीर जवानों की इंसानियत नहीं दिखती है !…….असहमति मानवीय उत्थान का श्रेष्ठ उपकरण है लेकिन जब यह अति एकांगी एकाक्षी भ्रष्ट बिकाऊ अमानवीय हो तो यही पतन का कारक होती है !…

…..आज संसार के सामने आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती है ,…..कुंठित मानवता को पतित बुद्धिजीवी अपना मोहरा बनाते हैं !…….बिगडैल बामपंथ बदमाश विषैला है !………भारत में लोभी कांग्रेस की कुटिलता से सत्य पर असत्य का पहरा हो गया था !……..अब कांग्रेस समापन की ओर अग्रसर है तो भारतीय जनता तीव्रता से असत्य को नकार रही है !……….प्रत्यक्ष हिंसा की प्रतिक्रिया में वाचनिक हिंसा के निष्कासन से महान संघ और महान सिद्ध हुआ है ,……मानवता को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से महान प्रेरणा मिलती है !……….श्रेष्ठ मोदी सरकार में सत्यनिष्ठ भारतीयता बहुत तेजी से उभर रही है ,……इसे रोक पाना पूर्णतः असंभव है ,…….फिरभी फितरत तो फितरत होती है ,…प्रत्येक शक्ति अपना प्रयास करती है ,……….हर इंसान हर कीमत पर शांति चाहता है ,…….इसलिए आतंक का अंत अति आवश्यक है !……आतंक के भौतिक बौद्धिक आर्थिक राजनैतिक कूटनीतिक धार्मिक सभी रूपों का सर्वनाश करना होगा !…..कार्य कठिन लगता है ,…लेकिन हमें यह करना ही होगा !………पूर्ण शान्ति के लिए पूर्ण पतितों का अंत आवश्यक है !…….जाहिल इस्लामिक ठेकेदार जमात सुधरने को कदापि तैयार नहीं हैं ,…अहंकारी जड़ता से मुक्ति सबके लिए कठिन है ,…….लेकिन प्रगतिवादी आम विद्वान् मुसलमान स्वच्छ मानसिकता अपनाना चाहते हैं ,…….अपना भी रहे हैं !……….आगामी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित संसार बनाना हमारा दायित्व है !……….संसार की मौजूदा सत्ताओं के सामने तलवार की धार पर चलने की बड़ी चुनौती है ,…..मानवता की भरसक रक्षा करते हुए आतंक का सम्पूर्ण विनाश आवश्यक है !…….

पुनः अभिव्यक्ति पर आते हैं !………बीते दिनों एक छात्रा बहुत चर्चा में रही !…….देवी गुरमेहर कौर की मासूम अभिव्यक्ति पर हम हंस भी सकते हैं !…….. एबीबीपी से असहमति उचित हो सकती है !…..राष्ट्रवादियों को संयमपूर्वक आत्मिक उत्थान करना चाहिए !….पाखण्ड का तार्किक खंडन होना चाहिए !…..नीच उद्दंड विरोधियों से भी मारपीट अनुचित है !………गर्मखून का सुरक्षित सदुपयोग होना चाहिए !…….नीच विरोधी हिंसक हो तो उसे उसकी भाषा में उत्तर भी दे सकते हैं !…..वैसे जबसे राष्ट्रवादी सरकार आई है तब से तमाम जालसाज व्यक्ति संगठन राष्ट्रवाद को बदनाम करने में प्रयासरत हैं !…..उनकी पीड़ा समझी जा सकती है !…………हमें याद रखना चाहिए कि …मिथ्याजाल कितना भी व्यापक लगे ..संसार के हर अणु परमाणु का मूल कारण सत्य है !…….सत्यनिष्ठा की विजय सदैव सुनिश्चित है !………..नाशवान मिथ्यावादियों को भगवान् सद्बुद्धि दें !…….ईर्ष्या द्वेष से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा !……..अल्पभ्रमित मानसिकता को प्रेम सौहार्द से सत्यनिष्ठ बनाया जा सकता है ,……..खैर गुरमेहर जी पर आते हैं !……उनका कहना था कि … “मेरे पापा को पाकिस्तान ने नहीं –युद्ध ने मारा है !” ……हम स्थूल सत्य की उपेक्षा करके सूक्ष्म सत्य को कैसे प्राप्त कर सकते हैं !…………वो एक वीर शहीद पिता की संतान हैं ,…..पीड़ा परिस्थिति प्रेरणावश वो भ्रमित लगती हैं ,…..लेकिन वो निश्चित साहसी हैं ,…..उनको नीचता से धमकी देने वाले लोग भी कुंठाग्रस्त हैं !………..गुरमेहर कौर श्रेष्ठ सत्यान्वेषी भी हो सकती हैं !…………….यह सर्वस्व के लिए सर्वस्व की बाजी लगाने जैसा मजेदार अदृश्य अभियान है ,…..इसमें कोई नहीं जानता कि कब किसके साथ क्या होगा !……यहाँ विजय की संभावना नगण्य है लेकिन सहायता सदैव मौजूद है !……..हर हिंसा लड़ाई युद्ध के पीछे विकृत अहंकार होता है !…….यदि संसार में पूर्ण शान्ति स्थापित करनी है तो उसका प्रथम पग अपनी सच्ची निरहंकार आत्मसत्ता से परिचित होना है ,…… अपनी इन्द्रियों समेत मन बुद्धि प्राण वासना विकारों संस्कारों को जीतना होगा ,….फिर अगले द्वारों के खुलने की संभावनायें खुलती होंगी !…..सच्चे योगी गुरुसत्ता की महान मेहर से यह पथ सहज हो जाता है ,…….इसके लिए अनंत धैर्य सहनशीलता साहस त्याग की आवश्यकता है ,……..मानवीय उत्थान का सनातन अभियान सफल होने तक हमारे बीच छोटे बड़े युद्ध होते रहेंगे,………… भौतिकता मानसिकता अहंकारिता मिटती बनती रहेंगी !…….हमारी स्वर्णिम आत्माएं इस परमशुद्धि की विशालकाय सांसारिक भट्ठियों से गुजरती रहेंगी !………परमदयालु परमात्मा विकार मुक्ति तक हमारा उपचार अपने अनुसार करते रहेंगे !……वो सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान हैं !……..उपचार में पीड़ा अवश्यम्भावी है !…आध्यात्मिक मानवता ही सुख शान्ति का स्थाई उपचार है !.

…..फिलहाल आतंकवाद का पूर्ण उपचार हमारी प्रत्यक्ष महती आवश्यकता है !……कुंठित मानसिकता नकाब को भी आतंकी उपकरण बना सकती हैं ,……. आवश्यकतानुसार भारत में भी इसपर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए !…….पीड़ादायक विकृत क्रूर इस्लाम पर हरसंभव लगाम मानवता के लिए हितकारी होगा !……..सर्वश्रेष्ठ तो यही होगा कि हर पंथ/समुदाय/व्यक्ति/देश स्वयं को शुद्ध करे ,……..हम मिलजुलकर सतपथ पर चले !…….अपनी तुच्छ अच्छाइयों का मिथ्याभिमान भी नीचता मनोरोग है !…..आधुनिक अमेरिकी समाज में भी बहुतायत कुंठा मनोरोग हैं ,….एक मनोरोगी ने एक भारतीय की हत्या ईरानी समझकर कर दी !…….उनको बचाने में घायल होने वाला व्यक्ति भी अमेरिकी है !….आज हर समाज में हर तरह के लोग हैं !……मनोरोग से ग्रस्त एक अमेरिकी तबका भी डोनाल्ड ट्रंप के विरोध में उद्दंड बच्चे जैसा व्यवहार कर रहा है !………..आखिरकार हर सरकार को संविधान के अनुसार ही चलना होता है !……..हर संविधान मानवता के लिए ही बना है !………

…..फिलहाल …..आज सार्वभौमिक संसार में आतंकपरस्त इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं दिखती है !…..आगामी समय और कठिन दिखता है !…..इस्लाम को अपनी जगह बचानी है तो शरीयत ,खलीफत ,खतना ,तलाक ,नकाब ,लिबास ,हलाल ,आतंक आदि अमानवीय मिथ्या प्रथाएं/आदतें त्यागनी होंगी !………कट्टर जड़ मानसिकता से निकलकर उसे आत्मीय(रूहानी) प्रेम की परिभाषा पुनः पढनी होगी !……..आत्मा हर खांचे सांचे से भिन्न पदार्थ है ,…..यह सबमें एक जैसी है !……उसकी अभिव्यक्ति उच्चतर प्रेमशक्ति से युक्त होती होगी !………राष्ट्रविरोधी अभिव्यक्ति गंभीर अपराध है !…….. तोड़ने से ज्यादा कठिन कार्य जोड़ने का है ,…….हमें कठिन लक्ष्य ही अपनाना चाहिए !……व्यक्तिगत ,राष्ट्रीय ,वैश्विक सत्ताओं को सतत अहंकारहीन सामूहिक प्रयास करने होंगे !…….. ‘भारत’ का एक अर्थ ‘भागवत कार्य में रत रहने वाला’ भी है ,……हमें इसे चरितार्थ करना होगा !………ॐ शान्ति !…….भारत माता की जय !!……………वन्देमातरम !!!

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