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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा !

युवामंच
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आदरणीय मित्रों ,….सादर प्रणाम !

आज हम अपना ६८वां गणतंत्र दिवस मना रहे है ,….पूरा देश उल्लासित है ,…बच्चों में विशेष उल्लास होता है !……मुख्य राष्ट्रीय कार्यक्रम राजपथ पर होता है ,……विविध मनोरम राष्ट्रीय झांकियां देशवासियों में ऊर्जा उत्साह भरती हैं !………..इसबार संयुक्त अरब – अबूधाबी के माननीय ‘मुकुट राजकुमार’ हमारे मुख्य अतिथि हैं !…..भारत उनका हार्दिक अभिनन्दन करता है ,…..हमारे पूज्य प्रधानमंत्री जी के अनुसार संयुक्त अरब हमारे मुख्य मित्रों में है !……..हम विश्वास करते हैं कि हमारे सम्बन्ध सबसे निरंतर प्रगाढ़ होते रहेंगे !…….हम मिलकर मानवोत्थान के लिए सतत सद्प्रयास करते रहेंगे !…….अपने गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम विश्वबंधुत्व के कामना के साथ सबका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं ,…..हम समूची मानवता को श्रेष्ठतर जीवन की शुभकामना देते हैं !

….“विजयी विश्व तिरंगा प्यारा – झंडा ऊंचा रहे हमारा” ………….ये गीत हर भारतवासी में कर्तव्यबोध ऊर्जा भरता आया है !……..अपने तिरंगे झंडे पर कुछ विचार उमड़ते हैं ,…….मोटे तौर पर बचपन से हमें यही समझाया जाता है कि ,..राष्ट्रध्वज का सर्वोच्च भगवा रंग साहस ऊर्जा पवित्रता के साथ हिंदुत्व का प्रतीक है !…….माध्यमिक सफ़ेद हिस्सा शान्ति समता के साथ जैन बौद्ध ईशाई आदि मतों का प्रतीक है ,…इसमें अशोक चक्र भी है !……..निम्नतम हरा हिस्सा कर्मठता परिश्रम के साथ ईशलाम का प्रतिनिधित्व करता है !….सबके मिलन से ही भारतीय ध्वज की पूर्णता है !……..लेकिन ……जरा सूक्ष्म दृष्टिकोण से ये विचार अधूरे से लगते हैं !

पहले हरे रंग को देखते हैं !………. हरा रंग प्रकृति का प्रतीक है ,……सत, रज, तम मूल प्राकृतिक गुण हैं ,….सनातन क्रीड़ालिप्त प्रकृति हमारी पोषक है ,….इनमें संतुलन से प्रकृति पूर्ण होती है ,…असंतुलन अनुसार विकृतियां भी उत्पन्न होती हैं !……… प्रकृति माँ हमारी धात्री है ,….आवश्यक उपभोग के साथ इनका सम्मान संरक्षण संवर्धन हमारा दायित्व है !

श्वेत रंग जीवात्मा का प्रतिनिधि है !…….आत्मा स्वभाव से शुद्ध बुद्ध शांत अखंड अविनाशी है ,…….हमारे शास्त्र कहते हैं कि ,… हमारे समस्त सांसारिक विचलनों का कारण आत्म विमुखता है !……..इसमें बना चक्र इसकी गतिशीलता का परिचायक है !…….चौबीस तीलियाँ आत्मीय गुण धर्म की प्रतीक हैं ,….इन्ही के आधार पर जीवन सहजता से चल सकता है !……..आध्यात्म हमारी तमाम समस्यायों का समाधान है ,….आत्मा का अध्ययन ही आध्यात्म है !…….आत्मा परमात्मा और प्रकृति के बीच रहने वाली श्रेष्ठ सनातन वस्तु है !……..मातापिता से सादर सम्यक सम्बन्ध इसका प्रमुख धर्म है !

ऊर्जस्वी भगवा रंग चिन्मय भगवत्ता का स्पष्ट प्रतिनिधि है ,…….आत्मा प्रकृति सबके स्वामी परमपिता परमेश्वर ही हैं !……..उनके विषय में कुछ कहना हमारे लिए असंभव है ,…..किन्तु ….इतना अवश्य कह सकते हैं कि उनसे श्रेष्ठ शक्तिमान महान दयालु न्यायकारी ज्ञानी कर्मशील और कोई न था ,न है और न कभी हो सकता है !……वो हमारे सर्वस्व हैं ,…सबकुछ उनसे है ,…सबकुछ उनमें है ,…फिरभी निर्विकार निरहंकार सर्वज्ञ सच्चिदानंद सदा निर्लिप्त ही रहते हैं !………ब्रम्हांड चक्र में कोई अतिआवश्यक हस्तक्षेप भी किसी को निमित्त बनाकर ही करते हैं !…….

हमारा प्यारा तिरंगा ध्वज समूची मानवता के लिए आदर्श है ,…….आदर्श पालन अवश्य ही कठिन होता है लेकिन,..यह असंभव नहीं है !……….जिस दिन एक भी मानव भागवत, आत्मिक, प्राकृतिक आदर्शों की सुसंतुलित प्राप्ति कर लेगा ,.. उसी दिन हमारी प्यारी दुनिया से पीडादायक विकृतियों का अंत सुनिश्चित हो जाएगा !……..तनिक बोधप्राप्ति से ही हम विशाल उन्नति प्राप्त कर सकते हैं ,…….तमाम पीड़ाओं विकारों के बीच अतिशय सकारात्मक पक्ष यह है कि,.. प्रत्येक जीवन का रहस्यमय सनातन उद्देश्य यही है !…….यह हमारा शास्वत महान अभियान भी है !……फिलहाल हम अपनी गहरी अज्ञान निद्रा में लीन हैं ,….किन्तु जागृति भी उपस्थित है !…….परमपथ पर चलने वालों को ईश्वरीय आत्मीय प्राकृतिक सभी सहायतायें मिलती हैं !……… हम कृतज्ञतापूर्वक भागवत प्रकाश में आत्मीय गुणधर्मों को अपनाकर प्रकृतिप्रेमी बनें ,……तभी हमारे परम उद्देश्य की आनंदमयी प्राप्ति संभव है !…….तभी हम आनंदमय परमेश्वर की क्रीडामय लीला के सक्रिय भागीदार बनेंगे !……हमारे अनंत जन्मों का लक्ष्य यही महाविजय है !………..विजयी भावना में सद्भावना सर्वप्रमुख है !……यही योग है !…….. हम संसार के सभी वीरों महापुरुषों ऋषियों मुनियों सिद्धों साधकों श्रेष्ठात्माओं को सादर प्रणाम करते हैं !…… ’सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की सनातन भारतीय भावना के साथ भारतीय गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर पुनः सबको हार्दिक शुभकामनाएं !……..…ॐ शान्ति !……….भारत माता की जय !!……..वन्देमातरम !!!

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